काेलकाता: टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने दिल्ली से लौटने के बाद शहर के हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि निर्वाचन आयोग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी स्वायत्त केंद्रीय एजेंसियां मोदी सरकार की कठपुतली बन गई हैं और भाजपा बिना किसी ठोस सबूत के उनके जैसे विपक्षी नेताओं को परेशान करने के लिए इन (स्वायत्त) एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर पर डायमंड हार्बर लोकसभा सीट की मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं के नाम होने का झूठा दावा करने का आरोप लगाते हुए बनर्जी ने कहा, ”मैंने अनुराग जी को अपनी सीट पर ज्यादातर असली मतदाताओं के होने के सबूत सौंपे थे, सिवाय कुछ ऐसे मतदाताओं के, जिनकी इस बीच मृत्यु हो गई थी। इसके बाद इस मुद्दे पर उनकी ओर से कोई बयान नहीं आया।” बनर्जी ने जोर देकर कहा कि वह भाजपा की तरह मतदाताओं का सामना करने से नहीं डरते। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा निर्वाचन आयोग के साथ मिलीभगत करके धोखाधड़ी से चुनाव जीतना चाहती है।”
उन्होंने सवाल किया, ”अनुराग ठाकुर जैसे भाजपा नेता निर्वाचन आयोग की ओर से विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के पक्ष में क्यों बोल रहे हैं?”
ठाकुर पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ”दिल्ली में भाजपा नेता बड़े-बड़े, बेतुके और झूठे दावे करते हैं। जब तथ्यों से सामना होता है, तो वे कभी अपनी गलतियां स्वीकार नहीं करते। ठाकुर को बंगाल और इसके लोगों की बहुत कम समझ है।”
उन्होंने कहा, ”एक बार मैंने जांच के सिलसिले में अपने दस्तावेज़ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंपे थे। बाद में, मैं एक भाजपा नेता को उन दस्तावेज़ों के विशिष्ट विवरणों का हवाला देते हुए सुनकर दंग रह गया।” उन्होंने पूछा कि भाजपा नेता कथित रूप से स्वतंत्र एजेंसियों को सौंपी गई गोपनीय जानकारी तक कैसे पहुंच पा रहे हैं?”
उन्होंने आगे कहा, ”इससे हमें एहसास होता है कि भाजपा ही निर्वाचन आयोग है, भाजपा ही प्रवर्तन निदेशालय है।”
अभिषेक बनर्जी ने फर्जी मतदाताओं की मौजूदगी जैसी चुनावी गड़बड़ियों के बारे में विपक्ष की शिकायत पर स्वतः संज्ञान न लेने के लिए निर्वाचन आयोग की भी आलोचना की।
निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मतदाता धोखाधड़ी के आरोपों के संबंध में हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इस संबध में अभिषेक बनर्जी ने कहा, ”मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने मुख्य मुद्दे को दरकिनार कर दिया है। निर्वाचन आयोग के पास अपने दम पर कार्रवाई करने का अधिकार है और चुनावी गड़बड़ियों की जांच के लिए उसे लिखित हलफनामे की आवश्यकता नहीं है।”