गंगासागर मेले को ‘राष्ट्रीय’ दर्जा की मान्यता नहीं, क्यों?

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कोलकाता: विश्व प्रसिद्ध गंगासागर मेला को कुंभ मेला की तरह राष्ट्रीय मेला का दर्जा मिले। यह मांग केंद्र से पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी लंबे समय से करती आईं हैं। बंगाल की इस मांग को केंद्र ने लगभग खारिज कर दिया है।
तृणमूल सांसद बापी हालदार ने संसद में प्रश्न के जवाब में केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की तरफ से स्पष्ट बता दिया गया। ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है। किसी भी मेले को केंद्रीय मान्यता प्राप्त धार्मिक आयोजनों की सूची में शामिल करना संस्कृति मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।
तृणमूल सांसद ने बाद में मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैंने गजेंद्र सिंह शेखावत से पूछा था कि गंगासागर राष्ट्रीय मेले के रूप में मान्यता क्यों नहीं दी जा रही है? क्या कारण है? उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे इस अनुरोध को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
‘केंद्र का फोकस गंगासागर पर नहीं कुंभ पर है’:
उल्लेखनीय है कि हर साल ही गंगासागर में पुण्य स्नान के लिए देशभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। गंगासागर में आने वाले लोगों की संख्या के लिहाज से, कुंभ मेले के बाद गंगासागर मेला दूसरे स्थान पर है। सीएम ने बार-बार कहा है कि गंगासागर के लिए केंद्र सरकार कुछ नहीं कर रही है जबकि कुंभ के लिए केंद्र का सिर्फ ध्यान है।
‘किया जा रहा सौतेला व्यवहार’:
उन्होंने गंगासागर मेला के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप भी लगाया है। केंद्र सरकार कुंभ मेले के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च करती है लेकिन गंगासागर मेले की उपेक्षा की जाती है। उल्लेखनीय है कि २०२६ में गंगासागर मेला में लाखों श्रद्धालु पहुंचेंगे l
गंगासागर सेतु बनवा रही है राज्य सरकार:
सागर तक पहुंचने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से गंगासागर सेतु तैयार किया जा रहा है। लंबे समय से इस सेतु की मांग केंद्र से की गई थी। आरोप है कि केंद्रीय मंत्री ने वादा किया था, लेकिन तीन-चार साल बीत गए, कुछ नहीं हुआ। इसके बाद मुख्यमंत्री ने खुद ही राज्य सरकार द्वारा सेतु निर्माण करने की घोषणा की गयी। इसके लिए १५०० करोड़ खर्च होंगे और पूरा होने में तीन से चार साल लगेंगे।

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