आरएसएस को समझने नेताओं को आरएसएस शाखा आना होगा: सीताराम डालमिया

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सिलीगुड़ी: कांग्रेस नेताओं का बीजेपी (बीजेपी) और आरएसएस (आरएसएस) पर विवादित बयानबाजी करने का लंबा इतिहास रहा है। ऐसे नेताओं को संघ पर बयान देने के पहले संघ की शाखाओं में आकर संघ को जानने की जरूरत है। यह कहना है सिलीगुड़ी के वरिष्ठ स्वयंसेवक सीताराम डालमिया का। उन्होंने संघ को तालिबानी संगठन कहे जाने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने अपने वैचारिक संगठन यानी संघ के सम्मान में उसके योगदान को याद किया तो कांग्रेस नेताओं ने एकजुट होकर प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी और संघ को घेरना शुरू किया। विभाजन की विभीषिका का विषय हो या आरएसएस की विचारधारा का विवाद थमा नहीं है।
देश की अदालतें तक कह चुकी हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी कह देना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि संघ की तुलना ‘तालिबान’ से कैसे हो सकती है? सियासी बयानबाजी में नेताओं की जुबान इस स्पीड से फिसल जाती है कि भाषाई मर्यादा की बात करना बेमानी सा लगने लगता है। लेकिन नेता हैं कि मानते नहीं, क्योंकि विरोध जो करना है। इसलिए जिसके मन में जो आता है, वो कहने से नहीं चूकता है, भले ही उसके बोल वचन से दूसरों को ठेस पहुंचती है। ताजा मामले में कांग्रेस के दिग्गज नेता बीके हरिप्रसाद ने आरएसएस की तुलना तालिबान से करते हुए विवादित बयान दिया है। डालमिया ने कहा कि तालिबान के हाथ हजारों बेगुनाह इंसानों के खून से रंगे होने का इतिहास रहा है, ऐसे कट्टर हथियारबंद संगठन जिसने अपने देश की सरकार का तख्तापलट करते हुए अमेरिकी जैसी सुपरपावर को काबुल की सरजमी से खदेड़ कर भगा दिया। उस अतिवादी संगठन तालिबान जिस पर कभी बैन लगा था उसकी तुलना आरएसएस से करके कांग्रेस के दिग्गज नेता हरिप्रसाद ने करोड़ों स्वयंसेवकों और उसके अनुषांगिक संगठनों के समर्थकों की त्योरियां चढ़ा दी हैं।
कौन करता है आरएसएस की फंडिंग?:
हरिप्रसाद ने कहा, ‘वे (आरएसएस) देश में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं। मैं आरएसएस की तुलना तालिबान से ही करूंगा, वे भारतीय तालिबा हैं और प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से उनकी सराहना कर रहे हैं’। इसके साथ ही बीके हरिप्रसाद ने आरएसएस को होने वाली फंडिग के सोर्स पर भी सवाल उठाते हुए संघ पर ताबड़तोड़ हमले किए है। डालमिया ने कहा कि मोदी जी को समझना कांग्रेस के नेताओं के बस की बात नहीं है। पीएम ने लाल किले से दिए देश के नाम दिए संबोधन में संघ की तारीफ कर पीएम ने एक तीर से कई निशाने साधे है। विरोधियों के साथ ही मीडिया में संघ और बीजेपी के बीच चल रही खींचतान और पीएम मोदी के संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ मतभेदों की अटकलों पर भी विराम लगा दिया है। आरएसएस १०० सालों से राष्ट्र निर्माण में जुटा’ डालमिया ने कहा कि पीएम मोदी ने आरएसएस की तारीफ करते हुए कहा कि आज से १०० साल पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जन्म हुआ। पिछले १०० साल से यह संगठन राष्ट्र सेवा कर रहा है और यह एक ही बहुत ही गौरवपूर्ण स्वर्णिम पृष्ठ है। उन्होंने संघ के समाजसेवी कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि एक शताब्दी से स्वयंसेवक राष्ट्र निर्माण के संकल्प में निस्वार्थ भाव से जुटे हुए हैं। इस बात को कांग्रेसी या विरोधी ताकतों को हमेशा याद रखना होगा।
दिल्ली में संघ की दो दिवसीय बैठक १९ से:
संघ की बैठक १९ और २० अगस्त को होगी, जिसमें टैरिफ पर आगे की रणनीति तय होगी और संगठन सिफारिशें केंद्र सरकार को भेजेगा।
जानकारी के अनुसार दिल्ली में आरएसएस की होने जा रही इस बैठक की अध्यक्षता संघ प्रमुख मोहन भागवत करेंगे। इसके अलावा बैठक में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले समेत सभी छह सह-सरकार्यवाह और कई अखिल भारतीय अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में इंडिया पर लगाए गए ट्रैरिफ समेत देश के भविष्य के लिए विदेश नीति क्या रहे? इस पर चर्चा होने की संभावना है।आरएसएस के सभी शीर्षस्थ अधिकारियों के अलावा संघ से जुड़े आर्थिक संगठनों के पदाधिकारी भी हिस्सा लेंगे। इसके अलावा, बैठक में बीजेपी और केंद्र सरकार के भी कुछ प्रमुख लोग मौजूद रहेंगे। बता दें कि आम तौर पर परंपरा रही है कि आर्थिक मामलों से संबंधित बैठक में संघ के प्रमुख पदाधिकारी हिस्सा नहीं लेते हैं। 50 फीसदी टैरिफ का असर भारत के कारोबारी जगत पर पड़ सकता है और इसके परिणामों को देखते हुए इस बैठक में संघ प्रमुख समेत वरिष्ठ पदाधिकारी भी हिस्सा लेंगे। अमेरिका की टैरिफ नीति की आलोचना आरएसएस ने अपने मुखपत्र में भी की है।

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