ऐज़ौल: जूलॉजी(प्राणीशास्त्र) विभाग के प्रमुख प्रोफ़ेसर एच. टी. लालरेमसंगा ने बताया कि एक सरीसृप विज्ञान अभियान के दौरान इसके शल्कों, आकारिकी विशेषताओं और डीएनए का अध्ययन करने के बाद इस नई प्रजाति की खोज की गई।
उन्होंने बताया कि इस नए शोध के निष्कर्ष ५ अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिका ‘टैप्रोबानिका’ (एशियाई जैव विविधता पत्रिका) में प्रकाशित हुए।
लालरेमसंगा के अनुसार, अब तक दुनिया भर में स्मिथोफिस साँपों की पाँच प्रजातियाँ खोजी जा चुकी हैं।
उन्होंने बताया कि ये मुख्य रूप से भारत के पूर्वोत्तर और पड़ोसी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि इन पाँच प्रजातियों में से दो प्रजातियाँ – स्मिथोफिस एटमपोरेलिस और स्मिथोफिस मिज़ोरामेंसिस – मिज़ोरम में खोजी गई हैं।
उन्होंने बताया कि हालाँकि इस नई खोज को स्मिथोफिस बाइकलर बताया गया है, जिसकी खोज १८५५ में मेघालय में हुई थी, लेकिन एक गहन अध्ययन में पाया गया कि स्मिथोफिस लैप्टोफैसिअटस अपने डीएनए और आकारिकी विशेषताओं में बाद वाले से ११.५ प्रतिशत भिन्न है, जिससे इसकी एक नई प्रजाति होने की पुष्टि होती है।
उन्होंने बताया कि स्मिथोफिस लैप्टोफैसिअटस विषहीन है और मुख्य रूप से कीड़ों को खाता है। उन्होंने आगे बताया कि यह घने जंगलों में रहता है।