नई दिल्ली: रूस से तेल आयात पर अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा उठाए गए सवालों का भारत ने जवाब दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के ज़रिए अमेरिका और यूरोपीय संघ को जवाब दिया।
उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत से ही, रूस से तेल आयात के मुद्दे पर भारत अमेरिका और यूरोपीय संघ के निशाने पर रहा है। दरअसल, संघर्ष के बाद, पारंपरिक आपूर्ति यूरोप में स्थानांतरित हो गई, इसलिए भारत ने रूस से तेल आयात करना शुरू कर दिया।’
रणधीर जायसवाल ने बताया कि उस समय, वैश्विक तेल बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए अमेरिका ने ही भारत को रूस से आयात करने के लिए प्रोत्साहित किया था।
उन्होंने लिखा, ‘भारत अपने उपभोक्ताओं को सस्ती और स्थिर ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए आयात करता है। यह वैश्विक बाजार की स्थिति की मजबूरी है। लेकिन भारत की आलोचना करने वाले देश खुद रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं।’ भारत की तरह, यह व्यापार उनके देशों के लिए कोई अनिवार्य बाध्यता नहीं है।
रणधीर जायसवाल ने कहा कि यूरोप-रूस व्यापार में न केवल ऊर्जा, बल्कि उर्वरक, खनिज उत्पाद, रसायन, लोहा और इस्पात, साथ ही मशीनरी और परिवहन सामान भी शामिल हैं।
“जहाँ तक अमेरिका का सवाल है, वह अभी भी अपने परमाणु उद्योग के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपने इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायन रूस से आयात करता है,” उन्होंने कहा।
इसलिए, रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत पर निशाना साधना अनुचित और तर्कहीन है। उन्होंने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।