काठमांडू: रूसी सेना में भर्ती हुए ७१ नेपाली नागरिकों की रूस–यूक्रेन युद्ध में मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है। रूस के रक्षा मंत्रालय द्वारा नेपाली दूतावास, मास्को के माध्यम से विदेश मंत्रालय को भेजी गई जानकारी के अनुसार अब तक ७१ नेपाली मारे जा चुके हैं।
वहीं, ४१ अन्य नेपालीों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। उनके परिवारों से डिएनए नमूने लेकर रूस भेजे गए हैं ताकि उनकी पुष्टि की जा सके।
विदेश मंत्रालय के कांसुलर सेवा विभाग की महानिर्देशक दुरपदा सापकोटा के अनुसार, अब तक ३४९ नेपाली परिवारों ने अपने परिजनों की तलाश के लिए आवेदन दिया है, जो रूसी सेना में भर्ती हुए थे।
उन्होंने बताया, “अब तक आधिकारिक जानकारी के आधार पर ७१ नेपाली की मौत हो चुकी है। ४१ अन्य की पहचान नहीं हो पाई है, जिनके परिवारों से डिएनए लेकर रूस भेजा गया है। इसके अलावा लगभग ४० नेपाली अभी भी लापता हैं।”
मुआवजे को लेकर स्थिति अस्पष्ट
सापकोटा के अनुसार, मृतकों के परिवारों में से दो को मुआवजा मिलने की अपुष्ट जानकारी है, लेकिन विभाग को कोई औपचारिक पुष्टि नहीं मिली है।
उन्होंने कहा, “जो लोग मुआवजा लेना चाहते हैं या घायल व लापता परिजनों की जानकारी के लिए रूस जाना चाहते हैं, उन्हें हम ‘नो ऑब्जेक्शन लेटर’ (एनओसी) जारी कर रहे हैं। डिएनए रिपोर्ट में नामित व्यक्तियों के माता-पिता या पत्नी को हम एनओसी प्रदान कर चुके हैं।”
सापकोटा ने यह भी बताया कि रूस से मिलने वाला मुआवजा मास्को से ही मिल सकता है, लेकिन कितने नेपालीों को मुआवजा मिला है, इसकी जानकारी अब तक विभाग को नहीं मिली है।
रूसी मुद्रा ट्रांसफर में बाधाएं
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, रूसी मुद्रा पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते नेपाल में पैसा ट्रांसफर करना बेहद कठिन हो गया है।
एक अधिकारी ने बताया, “जिन्हें मुआवजा मिला है, उनके लिए भी रूसी मुद्रा को नेपाल लाना मुश्किल है। बैंकिंग चैनल से यह संभव नहीं दिख रहा। हम अन्य विकल्पों पर चर्चा कर रहे हैं।”
रूसी सेना में नेपालीों की नई भर्ती रोकी गई
रूस सरकार ने हाल ही में नेपाली नागरिकों की अपनी सेना में नई भर्ती पर रोक लगा दी है। पहले से कार्यरत नेपालीों के कॉन्ट्रैक्ट का नवीकरण भी नहीं हो रहा।
एक अधिकारी ने बताया, “जिन्होंने रूसी नागरिकता ले ली है, वे सेवा जारी रख पा रहे हैं, लेकिन नेपाली नागरिकों के रूप में न तो कोई नई भर्ती हो रही है और न ही कॉन्ट्रैक्ट नवीकरण।”
रूसी सेना में कार्यरत २५० से अधिक नेपाली अब तक स्वदेश लौट चुके हैं। यह जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता कृतु भण्डारी ने दी, जो रूस में नेपाली सैनिकों के परिवारों से समन्वय कर रही हैं।
यूक्रेन में १७ नेपाली बंदी, रिहाई की कोई पहल नहीं
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, ७ नेपाली फिलहाल यूक्रेन की सेना की हिरासत में हैं। वहीं पारिवारिक सूत्रों का कहना है कि १० और नेपाली यूक्रेनी सेना द्वारा बंदी बनाए गए हैं।
परराष्ट्र मंत्रालय के कांसुलर विभाग को ७ युद्धबंदियों की जानकारी मिली है। पारिवारिक स्रोतों के अनुसार युद्धबंदी बने इन १० नेपालीों ने रेडक्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (आइसीआरसी) के जरिए अपने परिवारों को पत्र भेजे हैं।
इन बंदियों में शामिल नाम हैं – विवेक खत्री, सिद्धार्थ ढकाल, विकास राई, प्रतीक पुन, सुजन सुवेदी, ईश्वर लामिछाने, कृष्णबहादुर घिमिरे आदि।
विदेश मंत्रालय की महानिर्देशक सापकोटा ने कहा, “हमें जानकारी मिली है कि यूक्रेन में ७ नेपाली युद्धबंदी हैं।”
राजदूत का कीव दौरा रोक दिया गया
यूक्रेन में नेपाली युद्धबंदियों की रिहाई के लिए बातचीत हेतु वहां के लिए नियुक्त गैर-आवासीय राजदूत (वर्तमान में जर्मनी के राजदूत) डा. शैल रूपाखेती को यूक्रेन की राजधानी कीव भेजने की योजना बनाई गई थी।
परंतु, यह यात्रा अचानक रोक दी गई।
एक मंत्रालय अधिकारी ने बताया, “राजदूत को यूक्रेन के राष्ट्रपति को ओहोदाको प्रमाणपत्र सौंपने और युद्धबंदियों की रिहाई के मुद्दे पर यूक्रेनी अधिकारियों से बातचीत के लिए भेजा जाना था। खुद विदेश मंत्री ने रुचि दिखाई थी। लेकिन उनका दौरा क्यों रद्द हुआ, यह हम समझ नहीं पाए।