बिहार: नीतीश मंत्रिमंडल ने सफाई कर्मचारी आयोग गठन और पत्रकार सम्मान पेंशन योजना को दी मंजूरी

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पटना: नीतीश कुमार सरकार ने स्वच्छता कर्मियों के सर्वांगीण सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के गठन को मंगलवार को मंजूरी दी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में शहरी विकास एवं आवासन विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
बिहार में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह निर्णय महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आयोग के गठन का निर्णय राज्य में स्वच्छता कर्मियों के अधिकारों एवं हितों की सुरक्षा, कल्याण, पुनर्वास, सामाजिक उत्थान, शिकायत निवारण और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की निगरानी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष एवं पांच सदस्य होंगे, जिनमें एक महिला/तृतीय लिंगी होगा। आयोग स्वच्छता कार्य में लगे समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में जोड़ने तथा उनके सामाजिक एवं आर्थिक विकास में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को घोषणा की थी कि सरकार ने बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग गठित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा था, यह आयोग सफाईकर्मियों के हितों से संबंधित सुझाव देगा, उनके अधिकारों के संरक्षण के संबंध में सरकार को सलाह देगा और सफाई कार्यों में लगे लोगों से संबंधित कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा करके उसे लागू करवाने के लिये समुचित कार्रवाई करेगा।
राज्य मंत्रिमंडल ने बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना २०१९ के नियमों में संशोधन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है, जिससे राज्य सरकार में पंजीकृत सभी सेवानिवृत्त पत्रकारों को १५,००० रुपये प्रति माह की बढ़ी हुई पेंशन मिलेगी। पत्रकारों को पहले६ हजार रुपये प्रति माह पेंशन मिलती थी।
इसके अतिरिक्त, पेंशन प्राप्त करने वाले पत्रकारों की मृत्यु की स्थिति में उनके आश्रितों को भी आजीवन ३,००० रुपये के स्थान पर १०,००० रुपये मासिक पेंशन मिलेगी।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव (कैबिनेट सचिवालय) एस. सिद्धार्थ ने बताया कि मुंगेर के लोकप्रिय ‘सीताकुंड मेले’ को बिहार राज्य मेला प्राधिकरण के प्रबंधन के अधीन लाने का भी निर्णय लिया गया। अब सीताकुंड मेले का आयोजन राज्य सरकार की देखरेख और प्रबंधन में किया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि मेले के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा, ऐसा माना जाता है कि यही वह स्थान है जहां देवी सीता ने अग्नि परीक्षा के लिए अग्नि की चिता में प्रवेश किया था।
‘सीताकुंड मेला’ हर साल माघी पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित किया जाता है और फाल्गुन पूर्णिमा तक लगभग एक महीने तक चलता है।

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