काठमांडू: भारतीय राजदूतावास, काठमांडू द्वारा हिंदी साहित्य उत्सव के अंतर्गत आज नेपाल – भारत लाइब्रेरी, न्यू रोड में स्वामी विवेकानंद, भीष्म साहनी तथा मुंशी प्रेमचंद को याद करते हुए संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें विद्वानों ने अपने विचार रखे।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अंग्रेजी, हिंदी, नेपाली के वरिष्ठ लेखक आरडी युयुत्सु शर्मा ने कहा कि भारतीय राजदूतावास द्वारा इस तरह के साहित्यिक आयोजनों से काठमांडू के साहित्य प्रेमियों में एक नया उत्साह जागृत होता हैl साथ ही विभिन्न साहित्यकारों के महान कृतित्व का परिचय भी इन संगोष्ठियों के माध्यम से मिलता है। उनका कहना था की स्वामी विवेकानंद ने संपूर्ण जगत को एक नई दिशा दी, उनके विचारों से कई पीढ़ियां लाभान्वित हो रही हैं। भीष्म साहनी के साथ अपनी यादें ताजा करते हुए उन्होंने बताया की किस प्रकार दिल्ली के अलग-अलग स्थानों पर हिंदी के महान लेखक भीष्म साहनी के साथ साहित्यिक विचार साझा करते हुए उन्हें अपार आनंद की प्राप्ति होती थी। उनका कहना था कि मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में उस समय के सामाजिक चिंतन का एक वृहद परिदृश्य दिखाई देता है जो इस बात का परिचायक है कि लेखक की पैनी दृष्टि सदैव समाज के लिए, शोषित वर्ग के लिए, वंचित लोगों के लिए उत्थान की दिशा में कार्य करती रही।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि त्रिभुवन विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मी जोशी ने तीनों साहित्यकारों के साहित्यिक अवदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया की तीनों साहित्यकारों ने सदैव चिंतन कर एक सुखी और समृद्ध समाज के निर्माण की दिशा में अपनी कलम के माध्यम से सत्य का साथ दिया, आज भी उनके कथन और विचार प्रासंगिक हैं। इस अवसर पर मुंशी प्रेमचंद पर अपनी बात रखते हुए सुश्री कृतिका यादव ने कहा की मुंशी प्रेमचंद की छोटी-छोटी कथाएं समाज को बड़ा संदेश देती हैं और सामाजिक ताना-बाना किस प्रकार मजबूत हो यह सोचने पर मजबूर करती हैं। उनका कहना था कि मुंशी प्रेमचंद ने सभी वर्गों के लिए कार्य किया है और अपने लेखनी के माध्यम से समाज को नई दिशा दिखाने का काम किया है।
भीष्म साहनी पर अपनी बात रखते हुए केंद्रीय विद्यालय काठमांडू के प्राध्यापिका सुश्री अल्फा रेजी ने कहा कि भीष्म साहनी एक ऐसे साहित्यकार हैं जिन्होंने भारत पाक विभाजन की पीड़ा को अपने शब्दों के माध्यम से बखूबी पाठकों के मध्य रखा है और ऐसे दृश्य को प्रस्तुत किया है जो पूरी मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती थे।
कार्यक्रम में स्वामी विवेकानंद पर अपने विचार रखते हुए केंद्रीय विद्यालय, काठमांडू के प्राध्यापक श्री एच वैद्यनाथन ने बताया कि स्वामी जी के विचार आज भी अत्यंत प्रेरणादायक हैं। आज जब युवाओं की दिशा कई क्षेत्रों में कार्य कर रही है ऐसे में स्वामी जी के प्रेरणादायक विचार उनके लिए लाभकारी हो सकते हैं। हमें स्वामी जी के विचारों को निरंतर पढ़ते रहना चाहिए और युवा पीढ़ी के साथ उनके विचारों को साझा करने से एक उत्तम समाज की रचना की जा सकती है।

कार्यक्रम के अंत में केंद्रीय विद्यालय काठमांडू के प्रधानाचार्य श्री ए जेराल्ड ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. आनंद तिवारी ने किया। साथ ही काठमांडू स्थित विभिन्न विद्यालयों के बच्चों द्वारा इन महान साहित्यकारों की कृतियों का वाचन भी किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ धनेश द्विवेदी ने भारतीय दूतावास की ओर सभी उपस्थित व्यकितयों के प्रति आभार प्रगट किया।