पूर्वी भारत का एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न उद्योग देश के “ग्रोथ इंजन” के रूप में उभरते हुए

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कोलकाता: भारत में विभिन्न क्षेत्रों में औद्योगिक विकास में एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। विशेषकर, पूर्वी भारत का एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न उद्योग, ‘ग्रोथ इंजन’ के रूप में उभरा है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, बिहार और असम में एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न सैक्टर से जुड़ी लगभग २५ विनिर्माण इकाइयां कार्यरत हैं, जिनका संयुक्त उत्पादन १०,००० मीट्रिक टन प्रति माह है। एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न उद्योग के लिए देश का पहला और एकमात्र समर्पित मंच एल्यूमेक्स इंडिया २०२५’, तीन दिवसीय इवेंट के माध्यम से पूर्वी भारत सहित समग्र देश के विनिर्माण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में गति देने के लिए तैयार है।
आज एल्यूमीनियम हकीकत में, निर्माण, परिवहन, एयरोस्पेस, इन्फ्रास्ट्रक्चर, विद्युत और उपभोक्ता वस्तु उद्योगों का एक प्रमुख घटक है। इन उद्योगों में वजन में हल्के, टिकाऊ और जंग-रोधी सामग्रियों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। इस इवेंट के जरिए घरेलू एक्सट्रूज़न विनिर्माण की ताकत और क्षमता का प्रदर्शन किया जाएगा।
एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एलेमाई) द्वारा आयोजित एल्यूमेक्स इंडिया २०२५ प्रदर्शनी का प्रथम संस्करण १० से १३ सितंबर तक नई दिल्ली में आयोजित होगा। इस मेगा इवेंट के आयोजन में हिंडाल्को, वेदांता जैसी दिग्गज कंपनियों और खनन मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त निकाय जेएनएआरडीडीसी का भी बडा सहयोग मिला है।
‘एल्युमेक्स इंडिया २०२५’ इवेंट में दुनियाभर से २०० से अधिक प्रदर्शकों और १२,९०० से अधिक विजीटर्स के भाग लेने की उम्मीद है। यह इवेंट वास्तव में हरित ऊर्जा, एयरोस्पेस, इलेक्ट्रॉनिक्स, गतिशीलता, बुनियादी ढांचे, और अन्य क्षेत्रों में एल्यूमीनियम एक्सट्रूज़न के भविष्य का पता लगाने के लिए अग्रणी उद्योग खिलाड़ियों, एमएसएमई, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं और नीति निर्माताओं को एकसाथ इस एक मंच पर लाएगा। इसमें वैश्विक मेटल(धातु) एवं मेटल रीसाइक्लिंग क्षेत्र के अग्रणी लोगों की भागीदारी से भारतीय उत्पादकों की गुणवत्ता और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
पूर्वी भारत की बात करें तो, इस क्षेत्र में एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न सैक्टर से जुड़े संयंत्रों को ओडिशा में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध प्राथमिक एल्युमीनियम आपूर्ति से सहायता मिलती है, जिससे डाउनस्ट्रीम प्रोसेसिंग (प्रसंस्करण) के लिए लागत का विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा मेट्रो रेल विस्तार, विद्युत गतिशीलता और सौर ऊर्जा संयंत्रों जैसी शहरी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से प्रेरित हुगली, हावड़ा और खड़गपुर के औद्योगिक क्षेत्रों से आने वाली मांग से भी उन्हें लाभ मिलता है। यहां प्रादेशिक निर्यात गतिविधि भी बढ़ रही है। पूर्वी भारत के उत्पादक यूरोप, मध्य पूर्व और उत्तरी अमेरिका के बाजारों को आपूर्ति कर रहे हैं।
एलेमाई के अध्यक्ष जितेंद्र चोपड़ा ने कहा कि, “पूर्वी भारत, एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न उद्योग के लिए रणनीतिक तौर पर बहुत महत्व रखता है। समृद्ध खनिज भंडार, स्मेल्टर्स से निकटता, मजबूत औद्योगिक कोरिडोर और बेहतर कनेक्टिविटी के साथ, यह इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है। पूर्वी भारत एल्युमीनियम आयात पर निर्भरता कम करने और भारत के एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न उद्योग में विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
श्री चोपड़ा ने आगे कहा कि, ” एल्यूमेक्स इंडिया २०२५ भारत की घरेलू उत्पादन शक्ति में हमारा विश्वास दर्शाता है और दुनिया के सामने हमारी क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए एक युनिक मंच प्रदान करता है। मेरा विश्वास है कि, इस इवेंट के माध्यम से उद्योग में आपसी सहयोग और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय कंपनियों के लिए विकास के नए अवसर खुलेंगे।”
अपने इस अद्वितीय लाभों के बावजूद, पूर्वी भारत अभी भी उंची ऊर्जा लागत, नई अद्यतन मशीनरी तक सीमित पहुंच, कुशल सीएनसी ऑपरेटरों और धातुशोधन करने वाले कर्मियों की कमी जैसी अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसके अलावा, पर्यावरणीय मंजूरी और भूमि आवंटन में नियामकीय विलंब से भी कई बार औद्योगिक विस्तरण में रुकावट आती है।
‘एल्यूमेक्स इंडिया २०२५’ इवेंट, उद्योग को बढ़ावा देने से संबंधित पीएलआई योजनाओं, स्थानीय स्तर पर टेक्नोलॉजी के उपयोग को प्रोत्साहन, ग्रीन एक्सट्रूज़न प्रेक्टीस और एमएसएमई के लिए नीतिगत सहाय जैसे विभिन्न सत्रों के माध्यम से इन बाधाओं का समाधान करेगा। साथ ही व्यावसायिक मेलमिलाप और बायर-सेलर मीट(क्रेता-विक्रेता बैठकें) एक्सट्रूज़न मूल्य श्रृंखला में सहयोग को और भी सुगम बनाएगी।
उल्लेखनीय है कि, भारत में लगभग ४००-४५० एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न संयंत्रों में से २२५ से अधिक एलेमाई के सदस्य हैं। एमएसएमई से लेकर निफ्टी ५० कंपनियों तक, इनका संयुक्त उत्पादन वार्षिक २१ मिलियन टन है।

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