नई दिल्ली: अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर अपना १८ दिन का प्रवास पूरा करने के बाद अपने तीन साथियों के साथ १४ जुलाई को शाम ४:४५ बजे पृथ्वी के लिए रवाना हुए। करीब २३ घंटे के सफर के बाद उनका ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट १५ जुलाई दोपहर करीब ३ बजे समुद्र में कैलिफोर्निया के तट पर उतरे। इसे स्प्लैशडाउन कहते हैं। स्पेसक्राफ्ट २६३ किलो से ज्यादा कार्गो के साथ वापस आएगा। इसमें नासा का हार्डवेयर और ६० से ज्यादा प्रयोगों का डेटा शामिल हुआ। यह अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। चारों अंतरिक्ष यात्री २६ जून को भारतीय समय के अनुसार शाम ४:०१ बजे आईएसएस पहुंचे थे। एक्सियम मिशन ४ के तहत २५ जून को दोपहर करीब १२ बजे एस्ट्रोनॉट रवाना हुए थे। स्पेसएक्स के फाल्कन-९ रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल में इन्होंने कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी थी। ये मिशन तकनीकी खराबी और मौसमी दिक्कतों के कारण ६ बार टाला गया था।
सुभांशु ने १८ दिन अंतरिक्ष में क्या-क्या किया : ६० वैज्ञानिक प्रयोग: शुभांशु मिशन के दौरान भारत के ७ प्रयोगों सहित ६० से अधिक वैज्ञानिक प्रयोगों में शामिल हुए। उन्होंने मेथी और मूंग के बीजों को अंतरिक्ष में उगाया। स्पेस माइक्रोएल्गी’ प्रयोग में भी हिस्सा लिया। अंतरिक्ष में हड्डियों की सेहत पर भी प्रयोग किए।
प्रधानमंत्री से वीडियो कॉन्फ्रेंस : शुभांशु ने २८ जून २०२५ को अंतरक्षि स्टेशन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बात की। इस दौरान उन्होंने कहा था कि भारत अंतरिक्ष से बहुत भव्य दिखता है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पूछे जाने पर बताया कि वे अपने साथ लाए गए हलवा को अपने साथियों के साथ मिलकर खाया।
छात्रों से संवाद: सुभांशु ने इसके अलावा ३, ४ और ८ जुलाई को तिरुवनंतपुरम, बेंगलुरु और लखनऊ के ५०० से अधिक छात्रों के साथ हैम रेडियो के जरिए बातचीत की। इसका मकसद युवा छात्रों में स्टिम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) के प्रति रुचि बढ़ाना था।
आईएसआरओ के चेयरमैन से अनुभव साझा किया : उन्होंने ६ जुलाई को आईएसआरओ के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत कर अपना अनुभव साझा किया। नारायणन ने कहा था कि शुभांशु का ये अनुभव भारत के गगनयान मिशन में काम आएगा। ये भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है। इसके २०२७ में लॉन्च होने की संभावना है।
शुभांशु अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय : अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया था। शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इससे ४१ साल पहले राकेश शर्मा ने १९८४ में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को जाने : इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है। इसमें एस्ट्रोनॉट रहते हैं और माइक्रो ग्रेविटी में एक्सपेरिमेंट करते हैं। यह २८,००० किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल करता है। यह हर ९० मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है। ५ स्पेस एजेंसीज ने मिलकर इसे बनाया है। स्टेशन का पहला पीस नवंबर१९९८ में लॉन्च किया गया था।