ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका का हमला

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ईरान का फोर्डो न्यूक्लियर साइट पूरी तरह तबाह

कोलकता: ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिका ने हमला कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर ऐलान किया कि ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान स्थित न्यूक्लियर साइट्स पर अमेरिका ने बेहद सफल हवाई हमला किया है। पहाड़ों की गहराई में मौजूद ईरान का फोर्डो न्यूक्लियर साइट अब पूरी तरह तबाह हो चुका है। पोस्ट में ट्रंप ने लिखा, ‘हमने ईरान में तीन परमाणु स्थलों पर अपना बहुत सफल हमला पूरा कर लिया है, जिसमें फोर्डो, नतांज और एस्फाहान शामिल हैं। सभी विमान अब ईरान के हवाई क्षेत्र से बाहर हैं। पहले टार्गेट फोर्डो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया गया। सभी विमान सुरक्षित रूप से अपने घर की ओर जा रहे हैं। हमारे महान अमेरिकी योद्धाओं को बधाई। दुनिया में कोई और सेना नहीं है जो ऐसा कर सकती थी। अब शांति का समय है।’
फोर्डो को लेकर ट्रंप ने लिखा, ‘फोरडो इज गॉन’ यानी फोर्डो तबाह हो चुका है। ईरान के गहोम शहर के पास एक पहाड़ी क्षेत्र में बसा फोर्डो न्यूक्लियर कॉम्प्लेक्स हमेशा से अमेरिका, इजरायल और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की नजर में रहा है। २००९ में जब पहली बार इसका अस्तित्व सामने आया, तो दुनिया को पता चला कि ईरान ने इसे ६० से ९० मीटर गहराई में सुरंगों के जरिए छिपा रखा है। माना जाता है कि यहां ३,००० तक यूरेनियम संवर्धन सेंट्रीफ्यूज लगाए गए हैं। यह हमला तब हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईरान को दो सप्ताह का समय दिया था। माना जा रहा था कि इस दौरान अमेरिका कुछ नहीं करेगा. लेकिन उसने आखिरकार हमला कर दिया।
बी स्टील्थ बॉम्बर्स से हमला
हालांकि ट्रंप ने सीधे तौर पर यह नहीं बताया कि हमले कैसे किए गए, लेकिन अमेरिकी रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस मिशन में अत्याधुनिक बी -२ स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया गया। यह वही विमान हैं जो ३०,००० पाउंड वजनी जीबीयू -५७ बम ले जा सकते हैं, जिन्हें खास तौर पर गहराई में छिपे ठिकानों को तबाह करने के लिए बनाया गया है। फोर्डो की तबाही में इसी बम का इस्तेमाल किया गया होगा। क्योंकि इतनी गहराई तक सिर्फ इसके जरिए ही हमला हो सकता है।
ईरान के शहर कोम में फोर्डो न्यूक्लियर साइट पर के पास रहने वाले लोगों ने शनिवार रात जोरदार धमाकों की आवाज सुनी। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी फर्श के मुताबिक, धमाकों से पहले फोर्डो न्यूक्लियर साइट पर एयर डिफेंस सिस्टम को एक्टिव किया गया था लेकिन स्टील्थ टेक्नोलॉजी के आगे ईरान की सुरक्षा प्रणाली असफल रही।

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