झापा(नेपाल): डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि एंटीबायोटिक्स का अंधाधुंध इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। विभिन्न अध्ययनों ने पुष्टि की है कि हाल के दिनों में नेपाल में लोग बिना डॉक्टर से सलाह लिए या बिना अपने स्वास्थ्य की जांच किए दवाइयों की दुकानों पर जाकर दवाइयां मांग रहे हैं और ले रहे हैं। कई लोग बिना किसी झिझक के सीटामोल से लेकर एंटीबायोटिक्स तक का इस्तेमाल कर रहे हैं। जो डॉक्टरों के अनुसार स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।
नवजात और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रूपक आचार्य ने द रिपब्लिक इण्डियन से बात करते हुए कहा, “सिर्फ़ वयस्कों की ही नहीं, बल्कि आम लोगों की भी आदत होती है कि वे अपने बच्चों के बीमार होने पर भी एंटीबायोटिक्स देते हैं। हालांकि, बच्चों को अंधाधुंध एंटीबायोटिक्स देना गलत है।” डॉ. आचार्य कहते हैं कि बच्चों में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल बहुत होता है। इससे बीमारी तुरंत ठीक हो सकती है, लेकिन डॉक्टर से सलाह और जांच के बिना ली गई ऐसी दवाएं जटिल और जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकती हैं। डॉ. आचार्य कहते हैं कि बच्चे को बुखार या सर्दी-जुकाम होते ही उसे कई तरह की दवाइयां और एंटीबायोटिक्स देना अच्छी आदत नहीं है।
निमोनिया बच्चों में होने वाली एक बहुत ही आम स्वास्थ्य समस्या है और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आचार्य, जो बिर्तामोड चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक भी हैं, ने कहा कि इस संबंध में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग भी बढ़ रहा है। हाल ही में दुनिया भर में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, बच्चों में निमोनिया का कारण वायरल संक्रमण है। डॉ. आचार्य कहते हैं कि वायरल संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स नहीं लेनी चाहिए और डॉक्टरों को भी इस बारे में जागरूक होना चाहिए। बच्चों में वायरल संक्रमण बहुत होते हैं और वायरल संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स काम नहीं करते हैं। उनका कहना है कि जागरूकता की आवश्यकता है क्योंकि डेटा से पता चलता है कि नेपाल में एंटीबायोटिक दवाओं का बहुत अधिक उपयोग किया जाता है।
दुनिया भर में इस बात को लेकर चिंता है कि एंटीबायोटिक दवाओं के अनुचित उपयोग के कारण कुछ संक्रामक बैक्टीरिया में दवा प्रतिरोध यानी ‘एंटीबायोटिक प्रतिरोध’ विकसित हो गया है। डॉ. आचार्य ने कहा कि एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग से संक्रामक बैक्टीरिया की दवाओं का प्रतिरोध करने की क्षमता कम हो सकती है, जिससे ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है कि जब बच्चा गंभीर रूप से बीमार हो और अस्पताल आए तो उसे जो एंटीबायोटिक्स दी जानी चाहिए, वह काम न करे।
“जैसे हर दवा के साइड इफ़ेक्ट होते हैं, वैसे ही एंटीबायोटिक्स के भी साइड इफ़ेक्ट होते हैं। चूँकि अनावश्यक उपयोग से कभी-कभी एलर्जी की प्रतिक्रिया और मृत्यु हो जाती है, इसलिए एंटीबायोटिक्स का अंधाधुंध उपयोग समय के साथ जानलेवा बीमारी का कारण बन सकता है।” उन्होंने सभी माता-पिता को सलाह दी कि वे डॉक्टर से सलाह लें कि उन्हें कब एंटीबायोटिक्स लेनी चाहिए।
डॉ. आचार्य ने कहा कि माता-पिता को पता होना चाहिए कि डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि २०२२ में हर साल दुनिया भर में तीन मिलियन बच्चे एंटीबायोटिक्स के अंधाधुंध उपयोग के कारण होने वाले रोगाणुरोधी प्रतिरोध के कारण मर जाते हैं।