कोलकाता: ओबीसी सूची के पुनर्गठन के फैसले को लेकर राज्य की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है। राज्य के विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने हाल ही में कैबिनेट में घोषित सूची को लेकर बड़ी शिकायत की है। उनका दावा है कि यह बदलाव मुख्य रूप से एक समुदाय को खुश करने के लिए किया गया है। नतीजतन, हिंदू ओबीसी समूह का एक बड़ा हिस्सा व्यावहारिक रूप से वंचित हो रहा है। शुक्रवार को उन्होंने बुद्धिजीवियों के साथ बैठक के दौरान कहा कि राष्ट्रीय ओबीसी आयोग की सिफारिशों के अनुसार, २०१० में पश्चिम बंगाल में कुल ९९ जनजातियों को ओबीसी के रूप में मान्यता दी गई थी। इनमें से ३६ मुस्लिम समुदाय से थीं। लेकिन राज्य सरकार ने हाल ही में तीन महीने तक एक सर्वेक्षण किया था। उस रिपोर्ट के आधार पर, नई सूची में कुल १८० जनजातियों को ओबीसी के रूप में शामिल किया गया है। आरोप है कि इनमें से ११९ जनजातियां मुस्लिम समुदाय से हैं।
प्रसाद के नाम पर आस्था से छेड़छाड़ रथ यात्रा से पहले बंगाल के हर घर में दीघा जगन्नाथ मंदिर का प्रसाद पहुंचेगा। राज्य के लोगों को भगवान जगन्नाथ का प्रसाद, गज और पेड़ा मिलेगा। यह प्रसाद वितरण 17 जून से पूरे बंगाल में शुरू होगा। शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी ने हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए इस पैकेट को तैयार करने का आदेश दिया है। शुभेंदु ने कहा, ‘जगन्नाथ महाप्रभु को लेकर अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं। हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए मिठाई का यह पैकेट मंगवाया गया है। यह वास्तव में प्रसाद नहीं है, इसे ममता बनर्जी के नाम पर बांटा गया है।’