बैंकॉक: थाईलैंड की ओपल सुचाता ने मिस वल्र्ड २०२५ का खिताब जीत लिया है। ओपल ने १०७ सुंदरियों को पीछे छोड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल की है।
हैदराबाद में हुए वाली मिस वल्र्ड २०२५ प्रतियोगिता में थाइलैंड की ओपल सुचाता ने १०७ सुंदरियों को पीछे छोड़ते हुए खिताब को जीत लिया है।
थाईलैंड की सुंदरी ओपल सुचाता चुआंगश्री ने २१ साल की उम्र में मिस वल्र्ड २०२५ का खिताब हासिल कर लिया। ओपल की जीत ने न सिर्फ थाईलैंड का गौरव बढ़ाया, बल्कि एशिया में भी एक नई मिस वल्र्ड विजेता का एडिशन हुआ है।
अपनी इस जीत के बाद सुचाता ने कहा कि – वो भविष्य में राजदूत बनने की इच्छा रखती हैं, मनोविज्ञान और मानव विज्ञान में भी रुचि रखती हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मेरे देशवासी पिछले ७२ सालों से मिस वल्र्ड के पहला खिताब का इंतजार कर रहे थे।’ उन्होने कहा, जिस पल मुझे ताज पहनाया गया, मेरी आंखों के सामने सिर्फ मेरे परिवार, मेरे लोगों, मेरी टीम और उन सभी का चेहरा था जिन्होंने इस सफर में मेरा साथ दिया। मैं अब और इंतजार नहीं कर सकती, मैं बस इस ताज को थाईलैंड लेकर लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रही हूं।’
२० मार्च २००३ को फुकेत शहर में जन्मीं सुचाता चुआंगश्री ने मिस वल्र्ड २०२५ का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया है। वर्तमान में थाईलैंड की प्रतिष्ठित थामसैट यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल मामलों की पढ़ाई कर रही हैं। वो थाई, अंग्रेजी और चीनी भाषाएं बोलना जानती हैं। ओपल मिस वल्र्ड के खिताब को जीतने वालीं पहली थाईलैंड की सुंदरी भी बन गई हैं।
ओपल सुछता चुआंगश्री ने न सिर्फ अपनी सुंदरता बल्कि सामाजिक सरोकारों के प्रति जागरूकता के चलते भी दुनिया का ध्यान खींचा है। जब वह सिर्फ १६ साल की थीं, तब एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना करने के बाद उन्होंने महिलाओं के बीच ब्रेस्ट कैंसर और उससे जुड़ी सावधानियों को लेकर जागरूकता फैलाने की ठानी। इसी सोच के साथ उन्होंने ‘ओपल फॉर हर’ नामक पहल की शुरुआत की, जो आज थाईलैंड में महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर एक प्रभावशाली सामाजिक आंदोलन बन चुका है।
ओपल का अंतरराष्ट्रीय मंच पर अनुभव पहले से ही मजबूत रहा है। उन्होंने २०२४ में मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में थाईलैंड का प्रतिनिधित्व किया था और वहां तीसरे स्थान पर रहीं। लेकिन बाद में जब उन्होंने मिस वल्र्ड थाईलैंड २०२५ का खिताब स्वीकार किया, तो उन्हें अपनी मिस यूनिवर्स थाईलैंड की उपाधि छोड़नी पड़ी। इस फैसले से यह साफ हो गया कि ओपल की प्राथमिकता केवल खिताब नहीं, बल्कि एक बड़े मंच के जरिए समाज में बदलाव लाना भी है।