सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने देशव्यापी एचपीभी-कैंसर जागरूकता अभियान शुरू किया

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कोलकाता के चिकित्सा विशेषज्ञों ने एचपीभी से संबंधित कैंसर की रोकथाम के लिए बरती जाने वाली सावधानियों पर प्रकाश डालकर अभियान को मजबूती प्रदान की

कोलकाता: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के राष्ट्रव्यापी सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान के हिस्से के रूप में, आज कोलकाता में ‘कॉन्कर एचपीवी एंड कैंसर कॉन्क्लेव २०२५ का शुभारंभ किया गया।
इस अभियान का उद्देश्य मानव पेपिलोमावायरस (एचपीभी) के बारे में जागरूकता बढ़ाना है तथा यह बताना है कि यह किस प्रकार गर्भाशय-ग्रीवा तथा अन्य प्रकार के कैंसर का कारण बनता है। इस अभियान का उद्देश्य लोगों में जागरूकता बढ़ाना है कि कैसे शीघ्र उपचार के लिए कदम उठाकर इसकी रोकथाम की जा सकती है।
भारत एचपीभी-संबंधी बीमारियों का भी सामना कर रहा है तथा यहाँ विशेष रूप से गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से प्रभावित जनसंख्या काफी अधिक है। यह देश में महिलाओं में कैंसर से होने वाली मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। एचपीभी और कैंसर पर आईसीओ/आईएआरसी सूचना केंद्र के अनुसार, भारत में हर साल गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के १.२३ लाख से अधिक मामले सामने आते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ७७ हजार मौतें होती हैं। इसके अतिरिक्त, ९०% गुदा कैंसर और ६३% लिंग कैंसर एचपीभी से जुड़े होते हैं।
यह सम्मेलन श्रृंखला सभी चिकित्सा विशेषज्ञों, स्वास्थ्य पेशेवरों और स्थानीय समाजों को एक मंच प्रदान करती है, जहां वे एक साथ आकर इस खतरनाक चुनौती से निपटने के लिए ज्ञान साझा कर सकते हैं।
कोलकाता में आयोजित कार्यक्रम में मानव स्वास्थ्य पर एचपीवी के प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की गई। पैनल में अपोलो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन डॉ. शामिल थे। डॉ. पल्लब चट्टोपाध्याय, आईएपी हावड़ा शाखा, २०२५-२६ के अध्यक्ष और नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ अभिजीत सरकार, स्त्री रोग विशेषज्ञ और लेप्रोस्कोपिक सर्जन, चित्तरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, डॉ. दीपान्विता बनर्जी, काेलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में स्त्री रोग विशेषज्ञ और लेप्रोस्कोपिक सर्जन बसब मुखर्जी और कोलंबिया एशिया अस्पताल और चार्नॉक अस्पताल में स्त्री रोग और प्रसूति विभाग के प्रमुख डॉ. दिव्येंदु बनर्जी मौजूद थे।
सत्र का संचालन बाल स्वास्थ्य संस्थान के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. जयदीप चौधरी ने किया। सभी ने वायरस के बारे में तत्काल जागरूकता की आवश्यकता, किशोरों और अभिभावकों दोनों तक पहुंचने के महत्व तथा रोकथाम में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।
सभी वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि एचपीभी केवल गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर तक ही सीमित नहीं है। यह योनि, गुदा, लिंग और मुखग्रसनी के कैंसर से भी जुड़ा हुआ है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है। चूंकि १५ से २५ वर्ष की आयु वर्ग में एचपीवी संक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है, इसलिए शीघ्र जागरूकता और समय पर निवारक उपाय अपनाना आवश्यक है।
कोलकाता कॉन्क्लेव का समापन एक खुली चर्चा के साथ हुआ जिसमें आमंत्रित अतिथियों ने भी भाग लिया। उनकी भागीदारी से अभियान के लक्ष्य ‘सूचित निर्णय-प्रक्रिया और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से रोके जा सकने वाले कैंसर को हराने’ में काफी मदद मिली। यह पहल आने वाले महीनों में देश भर के अन्य शहरों में भी जारी रहेगी। इससे स्वास्थ्य क्षेत्र में कुछ विश्वसनीय लोगों को इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने और लोगों को सशक्त बनाने के लिए एक मंच मिलेगा।

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