भारत का यह जलवा कमाल का हैं

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प्रदीप कुमार नायक, स्वतंत्र पत्रकार

तीन दिन के आतंकवादी विनाश युद्ध में भारत ने आकाश में अपनी प्रभुता स्थापित कर दी है। हमारी नौसेना की घेराबंदी आश्चर्यजनक थी जिसने दुश्मन को ही नहीं दुनिया को भी भारत की तैयारियों से हैरान कर दिया। हवाई ताकत से युद्ध निपट गया, जांबाज थल सेना को हाथ आजमाने का मौका ही नहीं मिला। बेहद शानदार वायुसेना ने पीओके से इस्लामाबाद और कराची तक पूरे आकाश पर वर्चस्व स्थापित करते हुए ऐसी कयामत ढहाई कि रोज रोज एटम बम की धमकी देने वाले मूषक बिलों में जा घुसे। भारत का यह जलवा कमाल का है। पाकिस्तान के भीतर घुसकर १०० किमी तक मार करना हमारी तैयारियों का जीवंत सबूत है।
१९९९ के कारगिल में तो सीमित युद्ध था, १९७१ के बाद पहली बार भारतीय सेना की तैयारी देख जहां अनेक देश चौंक गए, वहीं संपूर्ण भारत को भरोसा हो गया कि शौर्यवान सेनाओं के कारण १४० करोड़ देशवासी पूर्ण सुरक्षित हैं। बेशक भारत में कुछ रुदालियां सदा रहेंगी जिनके टेसू देखकर किसी पर फर्क नहीं पड़ता। सब जानते हैं कि चंद विघ्न संतोषियों को दहाड़ें मारकर रोना खूब आता है। भले ही किसी पर इसका कोई असर न पड़े।
पाकिस्तान बड़ी डींगे हांक रहा था कि उसने राफेल सहित भारत के कईं तैयारे मार गिराए। अब उनकी हकीक़त भी सामने आ गई। दरअसल भारत ने इजरायल के सहयोग से सुखोई और राफेल की शेप वाले डुप्लीकेट फिदायीन ड्रोन तैयार कर रखे हैं। नौ मई की रात भारत ने पाकिस्तान के रडार सहित तमाम सुरक्षा सिस्टम ध्वस्त कर दिए। इसकी टेस्टिंग के लिए एक के बाद एक राफेल के डुप्लीकेट फिदायीन ड्रोन पाकिस्तान के आकाश पर चारों ओर उड़ाए गए।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार जैसे ही ड्रोन ने पाक सिस्टम फेल्योर की सूचना दी , एयर फोर्स ने राफेल उड़ा दिए। भटका पाकिस्तान ड्रोन के पीछे पड़ गया और राफेल और सुखोई ने ११ एयरबेस तथा ९ आतंकी ठिकाने उड़ाकर पाकिस्तान की कमर तोड़ दी। उधर पाकिस्तान फिदायीन ड्रोन गिराकर राफेल मार डालने का जश्न मनाया गया। अब सब बातें सामने आने पर पोल खुल गई है। खुले भी क्यूँ न! अब यह साफ हो गया है रात में जब भारत ने नूर खान और रहीमपुर एयरबेस उड़ाए तब मुनीर ने शाहबाज को फोन किया। बेशर्म शाहबाज उस समय स्विमिंग पूल में मौज मना रहे थे।
सीज फायर के बाद भारत का जोश बड़ा हाई है। देशवासी मूंछें मरोड़ते हुए सीना फुलाकर बड़ी शान से चल रहे हैं। भारत की पराक्रमी सेनाओं की गौरवगाथा सदा गाई जाएगी। १९६२ की बेरहम पराजय के बाद भारत ने कितने सबक सीखे, २०२५ उन सबका जीवंत प्रमाण है।

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