कहां से आएंगे डीए का १० हजार करोड़?

West-Bengal

कोलकाता: बहुचर्चित महंगाई भत्ते (डीए) मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए अंतरिम आदेश के बाद राज्य सचिवालय नवान्न ने मामले को सुलझाने के लिए अपनी प्रारंभिक विचार प्रक्रिया शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, इस संबंध में वित्त सचिव प्रभात मिश्रा ने अपने शीर्ष अधिकारियों के साथ प्राथमिक बैठक भी की। यद्यपि अभी तक कोई रचनात्मक समाधान नहीं हो पाया है, क्योंकि कोर्ट का अंतरिम आदेश अभी तक नहीं मिला है।
डीए मामले में राज्य को बड़ा झटका:
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार को अपने कर्मचारियों को २५ प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए) देने का आदेश दिया। अंतरिम आदेश न्यायमूर्ति संजय करोल और संदीप मेहता की पीठ ने पारित किया, जिसमें अनुपालन के लिए तीन महीने की समयसीमा दी गई। मामले को अगस्त में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। वर्तमान में, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को ५५ प्रतिशत डीए मिलता है, जबकि बंगाल के कर्मचारियों को केवल 18 प्रतिशत दिया जाता है।
राज्य के राजकोष के लिए एक बड़ा बोझ है:
राज्य वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह राज्य के राजकोष के लिए एक बड़ा बोझ है। इस बीच, मुख्यमंत्री ने बुधवार को राज्य श्रम विभाग के तहत अपनी नौकरी गंवाने वाले लगभग ८,००० ‘अयोग्य’ शिक्षाकर्मियों को वेतन देने का फैसला किया है। इसके आधार पर ग्रुप-सी और ग्रुप-डी के कर्मचारियों को क्रमश: २५,००० करोड़ रुपये और २०,००० करोड़ रुपये प्रतिमाह दिए जाने की घोषणा की गई है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, इस समय पूरा वेतन बकाया भुगतान करने के लिए राज्य सरकार को अनुमानित ४१,७७० करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। इसकी सूचना अदालत को दी गई है। बकाया डीए का ५० प्रतिशत भुगतान करने पर २०,८८५ करोड़ रुपये खर्च आएगा और बकाया डीए का २५ प्रतिशत भुगतान करने पर १०,४४२ करोड़ रुपये खर्च आएगा। हालांकि स्थिति के बारे में पूछने पर राज्य के वित्त मंत्री (स्वतंत्र) चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, ‘इस समय कुछ भी जवाब नहीं देंगे। पहले आदेश आने दें, उसके अनुसार इस पर चर्चा की जाएगी।’

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