शिलांग: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि सच्चा सशक्तिकरण मुफ्त और भत्ते के माध्यम से नहीं बल्कि हाथ थामने से आता है।
नई दिल्ली में मेघालय के एक स्वयं सहायता समूह के सदस्यों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, “किसी की जेब को मुफ्त में भत्ते देकर सशक्त बनाना, सच्चा सशक्तिकरण नहीं है। सच्चा सशक्तिकरण तब होता है जब आप उस व्यक्ति का हाथ थामते हैं ताकि वह खुद सशक्त हो जाए। इससे खुशी मिलती है, संतुष्टि मिलती है जो आपको आंतरिक शक्ति देती है और आपको अपने परिवार पर गर्व भी कराती है।”
धनखड़ ने कहा कि भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र हमारा गहना है। १९९० के दशक में केन्द्र सरकार की ‘पूर्व की ओर देखो’ नीति थी।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नीति को ‘लुक ईस्ट’ से ‘लुक ईस्ट’ तक एक नया आयाम दिया है। और यह बहुत प्रभावी ढंग से किया गया है।”
उन्होंने गारो हिल्स, खासी हिल्स और जैंतिया हिल्स क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले स्वयंसेवी समूहों को संबोधित करते हुए कहा, “मैं आपको बताना चाहता हूं कि मेघालय पर्यटकों के लिए स्वर्ग है। यह प्रकृति का भरपूर उपहार है।”
धनखड़ ने कहा कि मेघालय में खनन, सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यटन और सेवाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानव संसाधन स्वतंत्र होने चाहिए। उन्होंने कहा, “और उस श्रेणी में भी, जब महिलाएं आगे आती हैं, तो सामाजिक विकास, आर्थिक विकास संतुलित होता है। मुझे बहुत खुशी है कि परिक्रामी निधि और संख्या दोनों के संदर्भ में दस गुना वृद्धि हुई है।”
उन्होंने राज्य की आर्थिक प्रगति की सराहना की, जिसमें जीएसडीपी में १३ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “मेघालय दिल के लिहाज से एक बड़ा राज्य है, लेकिन भौगोलिक दृष्टि से उतना बड़ा नहीं है। लेकिन आपकी अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है। आपने एक बड़ा लक्ष्य रखा है। और आपका लक्ष्य यह है कि राज्य ने २०२८ तक १० बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है।”
इस बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।











