जादवपुर विश्वविद्यालय में दृष्टिबाधित छात्रों के लिए आधुनिक पुस्तकालय का निर्माण

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कोलकाता: शुक्रवार को जादवपुर विश्वविद्यालय ने दृष्टिबाधित छात्रों के लिए अपने ‘सुलभ पुस्तकालय’ को आधुनिक तकनीक से सुसज्जित किया। इस नए पुस्तकालय का उद्घाटन एक विशेष अवसर पर किया गया जिसमें कई प्रतिष्ठित लोग शामिल हुए। ज्ञात हो कि पहले यह पुस्तकालय बहुत पुरानी एवं समिति संस्थाओं द्वारा संचालित किया जा रहा था। केवल एक ब्रेल चित्रकार था जो किसी भी पुस्तक को तैयार करने में ६ से ८ महीने का समय लेता था। डिजिटल मैग्निफायर, डेज़ी बुक मेकर और लिप्यंतरण सॉफ्टवेयर जैसे आवश्यक उपकरण भी उपलब्ध नहीं थे, जिससे विषयों, विशेषकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अध्ययन में बड़ी बाधा उत्पन्न हुई। इस अंतर को पाटने के लिए, कोलकाता और संयुक्त राज्य अमेरिका के रोटरी क्लब तथा ग्लोबल जादवपुर यूनिवर्सिटी एलुमनाई फाउंडेशन ने एक बड़ा कदम उठाने के लिए एक साथ आये हैं। यह परियोजना रोटरी क्लब से प्राप्त 3.8 मिलियन रुपये से अधिक के अनुदान से पूरी हुई। इस परियोजना का नेतृत्व रोटरी क्लब ऑफ बेलूर और रोटरी क्लब ऑफ डैनविले सैन रेमन ने किया। इसके अलावा, साउथ सिटी टावर्स, चौरंगी, नॉर्थ ईस्ट, यूवी, रिचमंड और चिको जैसे कई अन्य रोटरी क्लबों ने भी इस आयोजन में सहयोग दिया। इस कार्यक्रम में जादवपुर विश्वविद्यालय के दो पूर्व छात्र संघों, ज़ेइटीआइएए और जेडआइयु पूर्व छात्र संघ, जॉर्जिया ने भी भाग लिया। अब यह नया पुस्तकालय अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित है, जैसे स्पीच आउटपुट के साथ ब्रेन ई-मोशन डिस्प्ले, रीडइट जेन मैक्स स्कैनर डेज़ी, ऑडियोबुक प्लेयर, डॉल्फिन पब्लिशर सॉफ्टवेयर, ब्रेल एम्बॉसर, वीडियो मैग्नीफायर और लिप्यंतरण उपकरण। इसके अलावा, बुनियादी ढांचे में सुधार जैसे यूनिसेक्स सुलभ शौचालय, रैंप, सुरक्षा रेलिंग, ध्वनिरोधी रिकॉर्डिंग रूम, डिजिटल रीडिंग रूम (20 छात्रों के लिए) और ब्रेल साइनबोर्ड भी किए गए हैं। लाइब्रेरी स्टाफ और वरिष्ठ छात्रों को भी टिकाऊ और सहायक वातावरण बनाने के लिए नई प्रौद्योगिकियों का प्रशिक्षण दिया गया। रोटेरियन विष्णु ढांढानिया ने कहा कि हमारा सपना है कि दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को सम्मान के साथ पढ़ाई का अवसर मिले। यह परियोजना दर्शाती है कि जब विश्व भर के लोग एक साथ आते हैं तो कुछ भी संभव है। जादवपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमिताभ दत्त ने कहा कि इस परियोजना का दूरगामी प्रभाव होगा, विशेष रूप से एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) विषयों में दृष्टिबाधित छात्रों की भागीदारी बढ़ाने, कैरियर के अवसर प्रदान करने और सामाजिक परिसर संस्कृति को बढ़ावा देने में।

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