कोलकाता: मृत व्यक्तियों के अंग दान को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य भवन ने राज्य के सभी २४ सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एनटीओआरसी (गैर-प्रत्यारोपण अंग पुनर्प्राप्ति केंद्र) की स्थापना किए जाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, आईसीयू और ट्रॉमा केयर यूनिट वाले अस्पतालों में ब्रेन डेथ (मस्तिष्क मृत्यु) घोषणाओं का नियमित ऑडिट भी शुरू किया जाएगा। ब्रेन डेथ की अवधारणा को हर अस्पताल तक ले जाने की योजना है। राज्य के अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (सोटो) के नोडल अधिकारी प्रो. अनिरुद्ध निओगी ने शुक्रवार को बताया कि इस पहल का उद्देश्य ब्रेन डेथ की अवधारणा सभी अस्पतालों तक पहुंचाना है, जिससे अधिक संख्या में अंग दान हो सके।
अभी सिर्फ एसएसकेएम अस्पताल करता है ब्रेन डेथ की घोषणा:
फिलहाल, एसएसकेएम अस्पताल ही राज्य का ऐसा एकमात्र सरकारी अस्पताल है जो ब्रेन डेथ की आधिकारिक घोषणा करता है। यहां से ही राज्य में सबसे ज्यादा अंग दान होते हैं और मृत अंग प्रत्यारोपण की सबसे अधिक सर्जरी यहीं होती है।
२०१८ के बाद मृत अंग दान में कोई खास वृद्धि नहीं:
रोटो (पूर्व) के निदेशक और एसएसकेएम के निदशक प्रो. मणिमय बनर्जी ने कहा कि २०१८ तक मृत अंग दान में अच्छी प्रगति हुई थी, लेकिन उसके बाद इसमें ठहराव आ गया है। उन्होंने कहा कि अंग दान और उसके उपयोग को बढ़ाने के लिए बेहतर समन्वय की आवश्यकता है ताकि जीवित दाताओं पर निर्भरता कम हो।