सर्वदलीय बैठक का निष्कर्ष: ज्ञानेन्द्र शाह दोषी करार, कार्रवाई होनी चाहिए

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काठमांडू: प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा बुलाई गई गणतंत्र समर्थक दलों की बैठक ने तीनकुने क्षेत्र में हुई हिंसा की जिम्मेदारी पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह को लेने का निष्कर्ष निकाला है। रविवार को सिंहदरबार में हुई बैठक में दलों ने पूर्व राजा की गतिविधियों को सामान्य नहीं मानने की बात कही। गृहमंत्री रमेश लेखक ने कहा कि तीनकुने क्षेत्र में हुई हिंसक घटना की सभी दलों ने निंदा की है। उन्होंने बताया कि दलों ने पूर्व राजा पर संविधान खत्म करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
गृहमंत्री लेखक ने कहा, ‘संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्रात्मक शासन व्यवस्था के खिलाफ रची जा रही साजिश पर दलों के बीच चर्चा हुई। यह व्यवस्था लंबी लड़ाई और बलिदान के बाद स्थापित हुई है, इसलिए इसे बचाने के लिए सभी दल एकमत हैं। हम इसी व्यवस्था के माध्यम से नागरिकों को अधिक सुविधाएं और समृद्धि की ओर ले जाना चाहते हैं। लेकिन, इस व्यवस्था को पलटने और संविधान खत्म करने की किसी भी गतिविधि को सामान्य नहीं माना जा सकता। १५ मार्च को हुई बर्बर घटना के लिए पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र ही जिम्मेदार हैं, इस पर सभी दलों की सहमति है।’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ७ फरवरी के बाद से पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र संविधान विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। ‘७ फरवरी के बाद से पूर्व राजा ने जो भी गतिविधियां की हैं और १५ मार्च को जो हिंसक घटना करवाई गई, वह अस्वीकार्य है। संविधान विरोधी इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ना ही उन्हें माफ किया जा सकता है,’ गृहमंत्री लेखक ने कहा।

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