उत्तर दिनाजपुर: दोल (होली) उत्सव यानि बसंत उत्सव पारंपरिक हिन्दू धर्म का एक बड़ा त्योहार है। अगर आप इस त्योहार पर अबीर खेलने से डरते हैं तो अब डरने की जरूरत नहीं है, इस बार स्वयं सहायता समूह की महिलाएं हर्बल अबीर बनाने में जुटी हैं।
आपने सही सुना, इस बार उत्तर दिनाजपुर जिले के चोपड़ा प्रखंड के धांदुगाछ नारी शक्ति और सोनार तारी दल की महिलाएं संयुक्त रूप से हर्बल अबीर बनाने में जुट गई हैं। महिलाएं करीब पांच साल से अबीर बना रही हैं और बेच रही हैं। वह अबीर उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों में जा रहा है।
दल की महिलाओं ने बताया कि उन्होंने उत्तर दिनाजपुर जिला कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त कर हर्बल अबीर बनाना सीखा है। रासायनिक तत्वों से बचने के लिए कुछ फलों, फूलों और पत्तियों का उपयोग करके हर्बल अबीर बनाया जा रहा है। इस अबीर के प्रयोग से त्वचा, आंख या शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है। इसके अलावा, अगर यह अबीर आंखों या मुंह में भी चला जाए तो इससे कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि फायदा ही होगा। वे लगभग पांच वर्षों से यह हर्बल अबीर बना रही हैं। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस बार पहले की अपेक्षा अधिक अबीर बना रही हैं। कृषि विज्ञान केंद्र की अधिकारी अंजली शर्मा ने बताया कि हर साल शनिवार को हम समूह की महिलाओं द्वारा हर्बल अबीर तैयार किया जाता है, जो आम लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है। यह हर्बल अबीर मूल रूप से पीले चुकंदर के पौधे के फूल और अरारोट से बनाया जाता है, जिसके आंखों के संपर्क में आने पर नुकसान की कोई संभावना नहीं होती है। साथ ही इस अबीर को बनाकर स्वयंवर समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बनती हैं।