कोलकाता: बडाबाजार में एक सरकारी बैंक से फर्जी दस्तावेज के जरिएर ३७ लोगों को ३ करोड़ रुपये का लोन देकर धोखाधड़ी करने के मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। घटना बड़ाबाजार थाना इलाके की है। अभियुक्तों के नाम कौस्तव बख्शी और शंभू मुखर्जी है। इनमें से कौस्तव को कसबा और शंभू को जोड़ाबागान इलाके से पकड़ा गया है। रविवार को अभियुक्तों को अदालत में पेश करने पर उन्हें २५ अप्रैल तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
क्या है पूरा मामला:
पुलिस सूत्रों के अनुसार यह घटना वर्ष २०२२ में हुई थी। बड़ाबाजार में एक सरकारी बैंक से ३७ फर्जी कर्जदारों को दिखाकर, उन्हें सरकारी कर्मचारी बताकर और फर्जी दस्तावेज बनाकर ३ करोड़ रुपये का ऋण निकाल लिया गया था। इस घटना में एक बैंक मैनेजर को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। जांच के बाद पुलिस ने शनिवार कसबा से कौस्तव बख्शी को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कौस्तव एक प्राइवेट एजेंसी में नौकरी करता था। उक्त एजेंसी एसबीआई में लोन के लिए आवेदन करने वाले लोगों के दस्तावेज की जांच करने के साथ ही उनके ऑफिस और घर जाकर फिजिकल वेरीफिकेशन का काम करती है। आरोप है कि वर्ष २०२० और २०२१ में कोविड लोन के लिए आवेदन करने वाले लोगों के दस्तावेज की जांच नहीं की गयी। इस दौरान दर्जनों लोगों को सरकारी कर्मचारी बताकर उन्हें लोन दिया गया। इस तरह बैंक को करोड़ों का चूना लगाया गया था। पुलिस ने ठीक से दस्तावेज की जांच नहीं करने और बैंक से धोखाधड़ी के आरोप में कौस्तव को गिरफ्तार किया। कौस्तव से पूछताछ के दौरान पुलिस को शंभू मुखर्जी के बारे में पता चला। पुलिस सूत्रों के अनुसार शंभू मुखर्जी जोड़ाबागान इलाके में पार्किंग फीस वसूलने का काम करता था। आरोप है कि जालसाजों ने शंभू को केन्द्रीय सरकार का कर्मचारी बताकर उसके नाम पर ६ लाख रुपये का लोन बैंक से निकाला था। बाद में उक्त लोन नहीं चुकाया गया था। उक्त तथ्य केे आधार पर उसे भी गिरफ्तार किया गया। फिलहाल पुलिस अभियुक्तों से पूछताछ कर मामले की जांच कर रही है।