कोलकाता: साल्ट लेक स्थित भाजपा कार्यालय में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की सबसे बड़ी समस्या संस्थागत भ्रष्टाचार है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में सरकार के हर स्तर पर भ्रष्टाचार फैला है — निचले स्तर से लेकर उच्चतम प्रशासनिक तंत्र तक। साथ ही उन्होंने बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, शिक्षा व कृषि संकट तथा तुष्टिकरण की राजनीति को भी राज्य के पतन का कारण बताया।
मीडिया वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाता है:
अधिकारी ने कहा कि मीडिया तात्कालिक और सनसनीखेज खबरों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे मूल समस्याओं की अनदेखी हो जाती है। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल को यह स्थिति पसंद है क्योंकि इससे जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटक जाता है। भाजपा, मुख्य विपक्ष के रूप में, इन मुद्दों को जनता के सामने लाती रहेगी।
एसआईआर प्रक्रिया पर तृणमूल का विरोध पाखंडपूर्ण:
एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) प्रक्रिया पर टिप्पणी करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस पर पाखंड, असहयोग और झूठे प्रचार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री एक जगह एक बात कहती हैं और दूसरी जगह जाकर पलट जाती हैं। यह दोहरा रवैया जनता देख रही है।
सीएए पर पुराने विरोधों की याद दिलाई:
अधिकारी ने कहा कि २०१९ में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पारित होने के बाद सबसे पहले हिंसक विरोध पश्चिम बंगाल में ही हुआ था, जिसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने भड़काया था। कई स्थानों पर बसों, ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों में आगजनी की गई थी।
तृणमूल ने एनआरसी का डर फैलाया:
उन्होंने कहा कि २०२१ के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने सीएए को एनआरसी से जोड़कर जनता में भय फैलाया , जबकि वास्तविकता कुछ और थी। अधिकारी ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी ने सरकारी कर्मचारियों पर दबाव बनाकर एसआईआर प्रक्रिया में बाधा डाली है।
हिंदू शरणार्थियों की रिहाई को लेकर पीआईएल:
शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि भाजपा ने केंद्र से जानकारी मांगी है कि ३१ दिसंबर २०२४ तक कितने हिंदू शरणार्थी जेलों में बंद हैं। उन्होंने कहा, हम उनकी रिहाई सुनिश्चित करेंगे।
तृणमूल ने मीटिंग में किया था समर्थन:
अधिकारी ने कहा कि ३१ अक्टूबर की सर्वदलीय बैठक में तृणमूल ने एसआईआर प्रक्रिया को स्वीकार कर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए, लेकिन अब वही पार्टी सार्वजनिक रूप से विरोध कर रही है। उन्होंने ‘जागो बांग्ला’ और अन्य प्रकाशनों के हवाले से तृणमूल के दोहरे मापदंडों को उजागर किया।
झूठ बोल रही हैं सोशल मीडिया पर:
अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं एसआईआर फॉर्म जमा कर चुकी हैं, फिर भी जनता को गुमराह कर रही हैं। उन्होंने पूछा, जब मुख्यमंत्री कहती हैं ‘सभी मतदाता’, तो क्या वे रोहिंग्या, बांग्लादेशी या मृत मतदाताओं की बात कर रही हैं?
मुसलमानों के नाम भी हों शामिल:
अधिकारी ने कहा कि भाजपा मानती है कि सभी भारतीय मुसलमानों के नाम एसआईआर प्रक्रिया में शामिल किए जाने चाहिए, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस उनके वास्तविक विकास के लिए कुछ नहीं कर रही है।
एसआईआर प्रक्रिया पर तृणमूल का वही पाखंड:
उन्होंने कहा कि जिस तरह कोविड-१९ के समय ममता बनर्जी ने पहले वैक्सीन का विरोध किया और बाद में स्वयं लगवाई, उसी तरह अब एसआईआर पर भी दोहरी नीति अपना रही हैं — खुद फॉर्म भर रही हैं लेकिन जनता को रोक रही हैं।
मतदाता सूची शुद्धिकरण के लिए एआई की सराहना:
अधिकारी ने चुनाव आयोग द्वारा शमशान रिकॉर्ड, दफ़न रिकॉर्ड और आधार लिंकेज के माध्यम से मतदाता डेटा सत्यापन की पहल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इससे मृत मतदाताओं के नाम हटेंगे और पारिवारिक सत्यापन में पारदर्शिता बढ़ेगी।
अवैध प्रवासियों को तृणमूल ही पहचानती है:
अधिकारी ने आरोप लगाया कि तृणमूल कार्यकर्ता स्वयं ५०० रुपए प्रति व्यक्ति लेकर अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की पहचान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह बताता है कि राज्य में अवैध प्रवासियों का संरक्षण राजनीतिक रूप से किया जा रहा है।










