नई दिल्ली: इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की अंतिम तिथि बीत चुकी है, लेकिन इस साल रिफंड मिलने में काफी देरी हो रही है। इनकम टैक्स विभाग के आंकड़ों के अनुसार, २२ सितंबर तक लगभग ५.०१ करोड़ रिटर्न प्रोसेस हो चुके हैं। अभी भी १ करोड़ से अधिक रिटर्न की प्रोसेसिंग बाकी है।
जानकारों का कहना है कि इस बार रिफंड में देरी का सबसे बड़ा कारण विभाग द्वारा वेरिफिकेशन और स्क्रूटनी प्रक्रिया को कड़ा करना है। जिन रिटर्न में अधिक राशि का रिफंड, ज्यादा डिडक्शन या टैक्स छूट होती है, उनका विशेष निरीक्षण किया जा रहा है।
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, डेलॉयट इंडिया के डायरेक्टर तरुण गर्ग का कहना है कि टीडीएस डेटा मिसमैच, बैंक अकाउंट की जानकारी में त्रुटि और ई-वेरिफिकेशन में देर होने की वजह से प्रोसेसिंग धीमी होती है।
एक अधिकारी के अनुसार, सामान्य नौकरीपेशा लोगों के रिटर्न ई-वेरिफाई करने के २–५ हफ्ते में प्रोसेस हो जाते हैं, जबकि जिनके पास कैपिटल गेंस, फॉरेन एसेट्स या कई आय स्रोत हैं, उनके रिटर्न में अधिक समय लगता है।
एक्सपर्ट संदीप सहगल का कहना है कि बैंक अकाउंट प्री-वैलिडेशन नहीं होने की स्थिति में भी रिफंड देर से आता है। इस साल लगभग १३.४९ करोड़ रजिस्टर्ड यूजर्स में से ७.५८ करोड़ ने 16 सितंबर तक रिटर्न फाइल किया है। ऐसे में टैक्सपेयर्स को अभी इंतजार करना पड़ सकता है।










